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लोकतंत्र का युग Age of Democracy

लोकतंत्र का युग Age of Democracy स्ांयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2007 में लोकतंत्र की अहमियत को बताते हुये, लोकतंत्र दिवस मनाने का फैसला किया। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने प्रस्ताव में कहा देशों के लोकतंत्र के लक्षण एक समान इसका कोई एक आदर्श रुप नही है। प्रस्ताव मेंकहा गया लोकतंत्र एक वैश्विक मुल्य है जो लोगों की स्वतंत्र रुप से व्यक्त की गई राजनीतिक आर्थिक सामाजिक और सास्कृतिक व्यवस्थाओं को निर्धारित करने और जीवन के सभी पहलुओं में उनकी पूर्ण भागीदारी पर आधारित है सयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव 8 नवंबर 2007 ळालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने माना की लोकतंत्र किसी खास देश अथवा क्षेत्र से जुड़ा नही है और न इसका कोई एक मॉडल है, जिसे लागू किया जा सकें  इतिहास दरअसल अलग-अलग देशों की संसदों के सगठन अंतर ससदीय संघ ने सितंबर 1997 में लोकतंत्र को वैश्विक आधार देने के लिए प्रस्ताव तैयार किया इसके बाद 1998 में फिलिपिंस में अंतर संसदीय संघ का आयोजन किया गया  इसमें लोकतंत्र में सगठन, सरकारों संसदों, नागरिकों, समाजों की भागीदारी बढ़ाने पर बात हुई। 2006 में दोहा में आयोजित आईसीएनआरडी का छठा सम्मेलन आयोजि

स्वामी विवेकानंद और उनके विचार

स्वामी विवेकानंद और उनके विचार जीवन परिचय भारतीय पुर्नजागरण के पुरोधा का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकŸा के एक मशुर वकिल विश्वनाथ दŸा के घर हुआ। माता भूनेश्वरी देवी उन्हे प्रेम से विवेश्वर पुकारती थी नामकरण सस्कार के समय उनका नाम नरेन्द्रनाथ दŸा रखा गया। बंगाली परविर में जन्मे विवेकानंद में बचपन से ही आध्यात्मिक विपाषा थी; कुशाग्र बुद्धि वाले नरेन्द्र परिवार के धार्मिक आध्यात्यमिक वातावरण के प्रभाव से बालक नरेन्दग कि मन में बचपन से धर्म और आधात्यात्मिक के गहरे सस्कार पड़ गये थे। प्राथमिक शिक्षा पुरी करने के बाद नरेन्द्र को मेट्रोपोलिटन इंस्टीचयुट मे दाखिला कराया गया। पढ़ाई के सथ खेलने संगीत सीखने घुड़सवारी करने में रुची नरेन्द्र की स्मरण शक्ति अदभुत थी वे एक बार पढ़कर ही पुरा पाढ़ याद कर लेते थे उन्होने एक बार में ही सस्कृत व्याकरण रामायण और महाभारत के पाढ़ याद कर लिए थे। शुरु में नरेन्द्र अग्रेजी नही सीखना चाहते थे, उनका मानना था की ये उन लोगों की भाषा है जिन्होने उनकी मातृ भाषा पर कब्जा किया हुआ है। लेकिन बाद में केवल अग्रेजी सीखना शुरु किया, बल्कि इस पर महारथ हासिल कर लि बचपन से ही उनमें ने

अविश्वास प्रस्ताव क्या है? इसे लाने कि प्रक्रिया क्या है, तथा इसका राजनीतिक प्रभाव।

अविश्वास प्रस्ताव क्या है? (No Confidence Motion) इसे लाने कि प्रक्रिया क्या है, तथा इसका राजनीतिक प्रभाव। इतिहास भारत में 17 अप्रेल 1952 में पहली बार लोकसभा का गठन हुआ था और सदन के इतिहास में पहली बार अगस्त 1963 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु कि सरकार के खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। ये प्रस्ताव आचार्य जेबी कृपलानी ने रखा। इस प्रस्ताव के पक्ष में 62 वोट और विरोद्ध में 347 पड़े, जिसके कारण यह प्रस्ताव पास नही हो सका। भारत में अविश्वास प्रस्ताव के कारण गिर जाने वाली सरकारों का इतिहास भी रोचक है। पहली बार मोरारजी देसाई सरकार के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया पहली बार तो वो बच गये, लेकिन 1978 में दुसरी बार उनको पता चल गया कि वे बहुमत खो चुके है। अतः मोरार जी देसाई ने अविश्वसा प्रस्ताव पारित होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया।  1979 में चैधरी चरण सिंह की सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस जारी किया गया। इस नोटिस के पारित होने से पहले ही उन्होने अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति को सौप दिया। इसी तरह 1989 में बीजेपी समर्थित राष्ट्

विशेषाधिकार क्या है? विशेषाधिकार प्रस्ताव कैसे लाया जाता है, इसकी क्या प्रक्रिया है।

विशेषाधिकार क्या है? विशेषाधिकार प्रस्ताव कैसे लाया जाता है, इसकी क्या प्रक्रिया है।  विशेषाधिकार Privilege Motion एक सांसद या एक विधायक होना सिर्फ जनप्रतिनिधि होना नही है बल्कि ये लोग संविधान के पालक और जननितियां बनाने वाले लोग है। ये कार्यपालिका के साथ मिलकर दरअसल यही लोग देश का वर्तमान और भविष्य लय करते है और अपने कत्तर्व्य  का निर्वहन करते हुये सदस्यों के मन सकोंच यो कोई दुविधा नही होनी चाहिए साथ ही इन पदों की प्रतिष्ठा और महत्व को देखते हुए संविधान में इन्हे कुछ विशेषाधिकार दिये है। संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के खंड 1 और 2 के तहत ये विशेषाधिकार से जुड़े विषय आते है संविधान में विशेषाधिकार के विषय इगलेंड से लिये गये है संविधान के अनुच्छेद 105 (3) 194 (3) के तहत देश के विधानसंभाओं को वही अधिकार मिले है जो हाऊस ऑफ कॉमन्स के है संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि ये उपबंध मुल अधिकारों से जुड़े भाग क 3 के अंतर्गत नही आते है। इनका मतलब ये हुआ की यदि कोई सदन विवाद के किसी भाग में कार्यवाही से हटा देता है तो कोई भी उस भाग को प्रकाशित नही कर पायेगा। और यदि ऐसा हुआ तो उसे संसद या व

जेट स्ट्रीम Jet Stream विभिन्न जेट धाराओं के प्रकार एवं जेट धाराओं का विकास चक्र

जेट स्ट्रीम Jet Stream विभिन्न जेट धाराओं के प्रकार एवं जेट धाराओं का विकास चक्र जेट स्ट्रीम जेट स्ट्रीम क्षोभसीमा के निकट के चारों और वायु का सर्फिलाकार प्रवाह है जिसकी औसत लंबाई 1600 से 390 किमी. औसत धरातल से ऊँचाई 8 से 12 किमी. औसत गहराई 1 से डेढ़ किमी., चौड़ाई 80 से 150 किमी. है। जेट स्ट्रीम की खोज द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उस समय हुई जब अमेरिकी बम वर्षक विमान जापान की और पूर्व से पश्चिम की और जा रहे थे। जेट विमान को हवाओें के विपरीत रुख का सामना करना पड़ा और विमानों की गति में अत्यन्त कमी दर्ज की गई और फिर लौटते समय पश्चिम से पूर्व गति में वृद्धि दर्ज कि गई। इन हवाओं का बाद में वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया और इन हवाओं का नामकरण जेट स्ट्रीम कर दिया गया। विभिन्न जेट धाराओं की उत्पत्ति के विभिन्न कारक- 1 उपोष्ण कटिबंधीय जेट स्ट्रीम- इस स्ट्रीम की उत्पत्ति क्षोभसीमा के निकट 30 से 35 डिग्री  अक्षाशों के ऊपर प्रति पछुवा पवनों के अभिसरण से होती है ये सपूंर्ण ग्लोब पर सर्वाधिक स्थाई एवं सबसे लंबी जेट स्ट्रीम है जो कि लबंवत वर्ष भर नियत बनी होती है लेकिन सूर्य के उत्तरायण व दक्षि

अपक्षय क्या है? अपक्षय के प्रकार, अपक्षय को प्रभावित करने वाले कारक

अपक्षय (weathering) क्या है? अपक्षय के प्रकार, अपक्षय को प्रभावित करने वाले कारक चट्टानों का अपने स्थान पर भौतिक रासायनिक एवं जैविक कारकों से विखंडन एवं वियोजन की क्रिया को अपक्षय कहते है। अपक्षय को प्रभावित करने वाले कारक- (1) संरचना- चट्टान विभिन्न खनिजों का समुच्चय होती है अतः इन खनिजों की कठोरता दृढ़ता एवं भगुरता भिन्न-भिन्न होती है। मुलायम चट्टानों का अपक्षय आसानी से होता है। मोहो ने कठोरता के आधार पर खनिजों को 10 भागों में विभाजित किया है।  हिरा सबसे कठोर  कोंरडम  टोपोज  क्वार्टज 2 जलवायु- अपक्षय को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले कारकों में से एक है। (A) उष्ण कटिबंधिय आर्द्र जलवायु- यहाँ तापमान एवं आर्द्रता की अधिकता के कारण रासायनिक अपक्षय अधिक होता है। (B) शुष्क जलवायु- यहाँ पर आर्द्रता की न्युनता एवं तापमान की अधिकता के कारण चट्टानों में फैलाव एवं सिकुड़न की क्रिया होती है जिससे यहाँ मुख्यतः भौतिक अपक्षय अधिक होता है। (C) शीतोष्ण जलवायु- यहाँ पर रासायनिक अपक्षय अधिक होता है। (D) शीत/टुंड्रा जलवायु- यहाँ पर भौतिक अपक्षय अधिक होता है। ध्रुवीय क्षेत्रों में

भारतीय मानसून की उत्पत्ति

भारतीय मानसून की उत्पत्ति मानसून एक द्वितीयक संचरण है जो उत्तर दक्षिण व्यापारिक पवनों के उष्मा गतिकिय परिवर्तन के कारण ग्रीष्मकाल में दक्षिण पश्चिम दिशा से शीतकाल में उत्तर पूर्व दिशा से संचारित होता है। इसका संबंध सूर्य के उत्तरायण एवं दक्षिणायन से है। इस दौरान दक्षिण पूर्वी व्यापारिक पवनों में 120 डिग्री तक विक्षोप उत्पन्न होता है। तथा I T C Z का 25 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक विथापन होता है। दक्षिण पश्चिम मानसून की उत्पत्ति - सूर्य के उत्तरायण होने से तिब्बत के पठार पर हेठ जोन का निर्माण होता है। तथा वायु गर्म होकर 6 से 8 किमी. की ऊँचाई तक उढ़ती है। तथा प्रतिचक्रवातीय बाह्यय प्रवाह के रुप में उत्पन्न होता है। जिसकी एक शाखा पूर्वी जेट के रुप में कोरियोलिस बल के प्रभाव से विध्यन पर्वत श्रृखला के समान्तर स्थापित होता है। जो आगे उत्तरी सयाद्री से होकर सोमालिया तट के निकठ अवतलित होत है। तथा उच्च दाब का निर्माण होता है सूर्य के उत्तरायण से I T C Z  भी 25 डिग्री पर स्थापित होता है। ये आईटीसीजेट निम्न दाब का क्षेत्र है जो व्यापारिक पवनों को अभिसारित करता है जिससे दक्षिणी पश्चिमी मानसून भा